मल्टीस्टेट क्रेडिट सोसायटी को कानून बनाकर सरकार लाइसेंस देती है,

 

मल्टीस्टेट क्रेडिट सोसायटी को कानून बनाकर सरकार लाइसेंस देती है, हर वर्ष इनके खातों की ऑडिट करती है, इन्हें क्लीन चिट देने वाली सरकार ने ही गरीब जनता को लूट जाने दिया।जब सब कुछ लूट चुका तब तक कुम्भकर्णी निन्द क्यो निकाल रही थी सरकार?


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मोदी सरकार 2013 में बनी, पहले कार्यकाल तकआदर्श सोसाइटी बहुत अच्छी थी, इन्हें कृषि मंत्रालय प्रशंसा पत्र देकर नवाज रहा था। 2018 के चुनाव के बाद ही ये चोर क्यो हो गई? गहन विचारणीय विषय है। सोचो, ऐसा क्या कारण हो सकता है?

भोली भाली जनता का खून पसीने का बचाया हुआ पैसा इसमें लगवा दिया,अब पूछ रहे है कि किसे पूछकर निवेश किया?

जब आदर्श सोसाइटी पूरी की पूरी ट्रेन पर अपना विज्ञापन दे रही थी,तब उन्हें परमिशन किसने दी? बिना विज्ञापन फीस लिए तो आपने परमिशन नही ही दी होगी न? तब तो चोर नही थी। जब आदर्श सोसाइटी संस्थाओं को एम्बुलेंस भेट कर रही थी,तब भी चोर नही थी। जब भूकम्प पीड़ितों की मदद कर रही थी,तब भी डाकू नही थी। जब बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रही थी,तब भी घोटालेबाज नही थी।

फिर एक रात्रि में ही चोर व घोटालेबाज हो गई।

ये सरकार जनता की मदद करना तो दूर उनकी खून पसीने की रकम भी वापिस नही दे पा रही है, न्यायालय भी न्याय देने में विलम्ब करता है, ऊपर से ये सरकार न्यायाधीश की सीट खाली होने पर भी उस पर ध्यान नही दे रही है। देरी से मिला न्याय भी अन्याय ही माना जाएगा। 

ज्यादातर आर्थिक अपराधों में दण्ड का ही प्रावधान होते हुए भी मामले को लम्बे समय तक लटका कर रखने से ही सरकार की नियत उजागर हो रही है। मोदी सरनेम होने की सजा आदर्श सोसाइटी व गरीब जनता भुगत रही हैं। 

ऊपर से सरकार व नेताओ का जनता पर ही दवाब की आप जानकारी ले कर निवेश करते, किसको पूछ कर निवेश किया? तो सरकार इतने दिन तक क्या कर रही थी? इनके अधिकारी क्या कर रहे थे?

प्रशासन क्या कर रहा था जो प्रशासन की आंखों के सामने जनता को लूटा जा रहा था।

इसलिए सरकार की पूरी पूरी जिम्मेदारी बनती है कि वह गरीब निवेशकों को तुरन्त भुगतान करे।

जयहिन्द।

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