Sahara Group: दिल्ली हाई कोर्ट ने सहारा ग्रुप को दिया बड़ा झटका, सोसाइटीज को नया निवेश लेने से रोका, क्या है मामला?


    

रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटीज के केंद्रीय रजिस्ट्रार को सहारा ग्रुप के निवेशकों के आवेदनों की जांच के बाद एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है.

Sahara Group Trouble: दिल्ली हाई कोर्ट ने सहारा ग्रुप को बड़ा झटका दिया है. Bar & Bench की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटीज के केंद्रीय रजिस्ट्रार को सहारा ग्रुप के निवेशकों के आवेदनों की जांच के बाद एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है. जिसमें दावा किया गया था कि उन्हें मेच्योरिटी के बाद भी अपना पैसा नहीं मिला है. वहीं दिल्ली हाई कोर्ट ने सहारा ग्रुप की सोसाइटीज को किसी भी नए निवेश को स्वीकार करने से रोक दिया है.

रिपोर्ट में बार एंड बेंच का कहना है कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की एक खंडपीठ ने रजिस्ट्रार को निवेशकों के आवेदनों की जांच के बाद दो सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. जिसमें दावा किया गया था कि उन्हें मेच्योरिटी के बाद भी अपना पैसा नहीं मिला है.


याचिकाओं में क्या दावा किया गया

बता दें कि हाई कोर्ट सहारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी, हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी और सहरयान यूनिवर्सल मल्टीपरपज सोसाइटी लिमिटेड द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था. इसमें केंद्रीय रजिस्ट्रार के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्हें नए डिपॉजिट लेने के साथ-साथ निवेश या मौजूदा मेंबर्स के डिपॉजिट को रिन्यू करने से रोक दिया गया था.

हालांकि, केंद्रीय रजिस्ट्रार के आदेश पर पिछले साल जनवरी में दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी, लेकिन याचिकाओं में सैकड़ों लोगों ने निवेशक होने का दावा किया था. इन आवेदनों में आरोप लगाया गया है कि भले ही उनका पैसा मेच्योर हो गया है, लेकिन सोसाइटीज ने अभी तक उन्हें पेमेंट नहीं किया है.

निवेशकों के पैसों का क्या हुआ

रिपोर्ट के अनुसार, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) चेतन शर्मा ने पीठ को बताया कि इन सोसाइटीज में करीब 7 से 10 करोड़ लोगों ने निवेश किया है. अब उनमें से हजारों ने अलग अलग प्लेटफॉर्म पर शिकायत की है कि उनके पैसे का भुगतान नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इन सोसाइटीज से 60,000 करोड़ रुपये से अधिक निकाले गए और लोनावला के पास एंबी वैली प्रोजेक्ट में निवेश किया गया. इन सोसाइदीज से 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि भी निकाली गई और समूह के प्रमोटर सुब्रत रॉय की जमानत सुरक्षित करने के लिए सिक्योरिटीज और एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) समूह के जमा करा दी गई.


सहारा ग्रुप का क्या कहना है

सहारा समूह का की आरे से वरिष्ठ वकील एसबी उपाध्याय ने आवेदनों और शिकायतों की वास्तविकता पर सवाल उठाते हुए तर्क दिया कि सरकार के आदेशों और उनसे निपटने के लिए इंटरनल मैकेनिज्म बनाया गया है. उन्होंने कहा कि शिकायतों की राशि निवेशकों की कुल संख्या के 0.006 फीसदी से कम है और जनवरी 2021 से सोसाइटीज ने अपने जमाकर्ताओं को 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है. उन्होंने समितियों के एक विशेष ऑडिट का उल्लेख किया है कि रिपोर्ट उनके पक्ष में थी और अदालत से अनुरोध किया कि वह आगे की जमा राशि स्वीकार करने पर कोई रोक न लगाएं. क्योंकि यह उन तरीकों में से एक है जिससे वह अपने निवेशकों को भुगतान कर सकता है.

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